क्या वक़्फ़ बोर्ड बिल सरकार द्वारा उठाया गया सही कदम है

 

Kya Waqf Board Bill Sarkar Dwara Uthaya Gaya Sahi Kadam Hai?


आज हम वक्त के उसे पड़ाव में है जहां सभी चीजों में पारदर्शिता की उम्मीद लोग करते हैं ,चाहे वह सरकार द्वारा किसी योजना में किया गया व्यय हो  या फिर लोगों के विकास में किया गया कार्य हो |  हमें हर मोड़ पर इसकी आवश्यकता महसूस हो रही है। हमारे देश को आजाद हुए 78 वर्ष हो चुके हैं, इन वर्षों में कई सरकारी आई, हमने गुलामी का दंस कितनी गहराई में से झेला था कि हम किसी भी देश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने में कई बार सोचते थे।हमने देश का बंटवारा भी देखा और उससे होने वाली त्रासदी को भी सहा है तभी हमारे देश के संविधान निर्माता ने एक ऐसा संविधान बनाने की कोशिश की जिसमें सभी धर्मों जाती समुदायों को एक साथ लेकर देश की एकता अखंडता और संप्रभुता बनाने में सहायक हो

                        जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे देश के आजाद होने से पहले ही ब्रिटिश सरकार ने सन 1923 में मुसलमान वक़्फ़  वैलिडेटिंग एक्ट लागू कर दिया था ताकि वक़्फ़ कीसंपत्तियों को एक कानून रूप दिया जा सके।जब हमारा देश आजाद हुआ तो हमारी तत्कालीन सरकार ने भी इसे कानूनी मान्यता सन 1954 वक़्फ़ एक्ट के रूप में प्रदान की | हमारी सरकार ने यह उम्मीद की कि यह कानून मुसलमान के हित में कार्य करेगी| 


                                वक़्फ़ कानून के बारे में विस्तार से चर्चा करने से पहले हमें यह समझना होगा कि

  1.  यह वक़्फ़ है क्या ?  

  2.  इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी ? 

  3.  इसके बाद हम यह भी समझेंगे कि वक़्फ़ एक्ट लागू करने से हमें क्या इसके परिणाम प्राप्त हुए ?

  4.   क्या यह मुसलमानों  के हित को सही स्वरूप दे पाया या  इस कानून की आड़ में वक़्फ़ की संपत्तियों का दुरुपयोग हो रहा है?


                              चर्चा में पहले यह समझना होगा कि वक़्फ़ है क्या? 

इस्लाम में वक़्फ़ एक प्रथा है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को अल्लाह के नाम पर दान करता है। इन संपत्तियों का उपयोग मुसलमान के हित में कब्रिस्तान, मस्जिद ,मदरसा ,अस्पताल ,अनाथालय इत्यादि के रूप में किया जाता है| 


                         हमें अक्सरसर यह देखने को मिलता है कि सभी धार्मिक समुदायों में ऐसी व्यवस्था होती है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति समाज की भलाई के लिए दान करना चाहे तो, धार्मिक संस्थाओं में ऐसी व्यवस्था होती है जैसे क्रिस्टियन  धर्म में ही देखे तो व्यक्ति अपनी संपत्ति को चर्च के नाम दान कर देता है। हिंदू धर्म में राम जानकी के नाम लोग जमीन दान कर देते हैं जो एक धार्मिक विश्वास को और मजबूत करता दिखाई देता है। लोगों को भी ऐसा विश्वास है कि हमारे द्वारा दान कई की गई भूमि को धार्मिक स्वरूप देने से इसका सही इस्तेमाल होगा क्योंकि इस प्रकार की जमीनों को बेचा या खरीद नहीं जा सकता | ऐसा करने के पीछे मनसा सिर्फ यही होती है कि वह अपने जीवन में कुछ अच्छा कार्य करना चाहते हैं ताकि लोग या समाज उन्हें याद रख सके यदि ऐसा नहीं होता तो लोग अपनी संपत्ति किसी व्यक्तिगतके नाम भी करते थे


                        दान करने वालों का उद्देश्य जो भी हो हमें यह देखना होगा कि दान की गई, संपत्तियों का इस्तेमाल किस रूप में हो रहा  हैं क्या यह अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर रहा है? या फिर इस कानून की आड़ में लोग अपना हित साध  रहे हैं।


                                   वक़्फ़ संपत्तियों का उपयोग मस्जिदों कब्रिस्तानों औरअन्य पूजा स्थलों के रखरखाव के लिए किया जाता है इसका उपयोग शैक्षणिक संस्थानों स्कूल कॉलेज आदि, स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे अस्पताल क्लिनिक की स्थापना और रखरखाव के लिए किया जाता है। सामाजिक रूप में वक़्फ़ की संपत्तियों का उपयोग गरीब , विकलांग और अन्य कमजोर सदस्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए किया जाता है। वक़्फ़ संपत्तियों का उपयोग बुनियादी ढांचों के निर्माण के लिए जैसे सड़क, पुल और जल स्रोतों के लिए भी किया जा सकता है

 

                            वर्तमान परिपेक्ष में हम देखे तो वह यह महसूस होता है कि वक़्फ़ संपत्तियों का उपयोग सही दिशा में करने की आवश्यकता और महसूस होती है वक़्फ़ संपत्तियों में कई अनियमिता  भी देखने को मिलती है कई लोग वक़्फ़ संपत्तियां बना तो देते थे लेकिन उसके रखरखाव और देख-रेख का कोई निश्चित प्रबंध नहीं कर पाते थे। जिसका लाभ उठाकर कई लोगों ने अपना हित साध रखा है


                             भारत में वक़्फ़ का निर्माण और प्रबंधन वक्त अधिनियम 1995 द्वारा शासित होता है| 


  * राष्ट्रीय वक़्फ़ विकास निगम लिमिटेड- कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत किस कंपनी को राज्य वक़्फ़ बोर्ड की राजस्व क्षमता बढ़ाने के लिएवक़्फ़ संपत्तियों को विकसित करने का अधिकार है | 

 * शहरी वक़्फ़ संपत्ति विकास योजना- यह योजना वक़्फ़ बोर्डो  और संस्थाओं को वक्त भूमि पर आर्थिक रूप से व्यवहार इमारत जैसे वाणिज्यिक परिसरों, विवाह हॉल, अस्पतालों और कोल्ड स्टोरेज के निर्माण के लिए ब्याज मुक्त दिन प्रदान करती है

 

        भारत सरकार ने वक़्फ़ बोर्ड 1954 एक्ट के तहत राज्य स्तर पर वक़्फ़ बोर्ड बनाएं और वक़्फ़ एक्ट 1995 के तहतराज्य वक़्फ़ बोर्ड को और अधिक शक्तियां दी गई | 

सेंट्रल वक़्फ़ परिषद की स्थापना की गई, जो सभी राज्यों के वक़्फ़ बोर्डो की निगरानी करता है | राज्य वक़्फ़ बोर्ड हर राज्य में एक वक़्फ़ बोर्ड होता है, जो राज्य की वक़्फ़ संपत्तियों का प्रबंध करता है,और केंद्रीय वक़्फ़ परिषद यह पूरे देश के वक़्फ़ बोर्डो की निगरानी करता है  उन्हें सलाह देता है


        अभी हाल ही में सरकार ने एक नयावक़्फ़  बिल संसद के समक्ष प्रस्तुत किया है जो देश में एक प्रमुख चर्चा का विषय है। अनेक पार्टियों द्वारा इसका विरोध हो रहा  है जहां तक बात करें मुस्लिम समुदायों की तो उनकी तरफ से भी कोई संतोष प्रद जवाब नहीं मिल रहा है। हमें किसी भी परिणाम तक पहुंचने से पहले यह अवश्य देखना चाहिए की इससे हमारे आने वाले भविष्य में क्या-क्या बदलाव होंगे। क्या यह बदलाव सही दिशा में होंगे या फिर उसके नकारात्मक प्रभाव मिलेंगे।


                                       हमें सरकार के उद्देश्यों को भी समझना होगा यदि यह बिल वक़्फ़ के उद्देश्यों को सही रूप नहीं दे रहा तो इसका विरोध करना कहीं भी गलत नहीं होगा। हर व्यक्ति को अपने धर्म में आस्था रखना और अपने धार्मिक उद्देश्यों को प्राप्त करना उसका संवैधानिक अधिकार है। यह हमारा संविधान ही है जो हमें आज तक एक धागे में पीरो रखा है यदि हम सिर्फ अपने धार्मिक हितो को देखते रहेंगे तो हम अपने आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर भविष्य नहीं दे सकते।हमें यह याद रखना होगा कि किसी भी धर्म का उद्देश्य अपने सुकर्मों को करते हुए आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर दुनिया देना होता है यदि वह धार्मिक प्रपंचों में ही उलझी रहेगी तो वह अपना उद्देश्य नहीं प्राप्त कर सकते।


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